सोमवार, 23 मई 2016

कुछ स्मृतियां कुछ स्मृतियों पर


- स्मृतियां मुस्कान होती हैं, आँखों में खिली रहती हैं। 
- स्मृतियां आंसूं होती हैं, होठों से चुपचाप बहती हैं। 
-स्मृतियां दृष्टि होती हैं, अनाम राह  में उजाला बनती हैं। 
- स्मृतियों को अँधेरे में देखना।  जुगनू सी दिखेंगी।  उस रौशनी में साफ़ साफ़ देख लोगे रिश्ते की अदृश्य डोर।
- स्मृतियों की लाशों का बोझ अपने कन्धों पर मत ढोना, स्मृतियां किसी और की होंगी, कंधे तुम्हारे दुखेंगे। 
- स्मृति में अक्सर वही विचरते हैं जो आपके जीवन से विदा ले चुके होते हैं। 
- स्मृतियाँ दरवेश या फ़क़ीर नहीं होतीं कि आये, खाये, झूमे गाए और अलविदा। बल्कि स्मृतियां देवी देवता होती हैं।  आप पर प्रसन्न हो गए तो सदा कृपा दृष्टि, कुपित हो गए तो वक्र दृष्टि से नवाजती हैं। 
- स्मृतियां बेहतरीन नर्तक होती हैं।  जेहन में इस तरह नाचती हैं कि  विश्राम का समय दिए बिना अपने साथ अविराम नृत्य करने को बाध्य कर देती हैं। 
- स्मृतियां रेलगाड़ी होती हैं।  अनन्त बोगियों वाली रेल।  इसकी प्रत्येक सीट पर कोई भूली बिसरी सवारी बैठती है।  कोई सवारी तुम्हे आवाज़ दे तो मुंह न फेर लेना बल्कि हाथ पकड़ उसे तसल्ली से उतार लेना दिल के स्टेशन पर। 
- स्मृतियां चादर होती हैं।  ओढ़ कर सो जाओ तो इस गर्मास से बाहर निकलने का मन ही न करे!
- स्मृतियां प्रेम नहीं होतीं, नफरत भी नहीं होतीं। बस सक्षम होती हैं कि प्रेम का नन्हा पौधा रोप दें या नफरत का बीज बो दें। 
- स्मृतियां पैरों का पैरहन नहीं होतीं, माथे की शोभा होती हैं।  इन्हे ताज की तरह धारण करना, चमक उठोगे तुम इसकी परछाई में। 
-पूजा अनिल 

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